Sunday 9 April 2017

सशक्त ग्राम सभा से ही ग्राम स्वशासन आएगा


ग्राम सभा से ग्राम स्वराज विषय पर बांसा, चौका, चांडिल में आयोजित संगोष्ठी (9 अप्रैल 2017)  का रिपोर्टिंग हमारे सामने पेस करते साथी दीपक रंजीत।



                     


ग्रामसभा लोकतंत्र का बुनियाद है परन्तु नौकरशाह इसे ख़त्म करने में लगा हुआ है। आदिवासिओं के सुरक्षा  के लिए आदिवासी इलाके में 1996 में पेसा कानून की व्यवस्था किया गया परन्तु यह अभी तक सरजमी में नहीं उतरा।

73 वे संविधान संसोधन के द्वारा ग्राम सभा को सशक्तिकरण के लिए ग्राम सभा एवं पंचायत को 29 अधिकार सौपा गया। जिसका भी अभी तक अमल में नहीं लाया गया गया है।

सरकार एक कानून बना रहा है ताकि ग्राम सभा को मजबूत किया जाए। वही दूसरी और यही सरकार ग्राम सभा को कमजोर करने में भी लगे है।

इसका ताजा उदहरण है। पारम्परि ग्राम सभा के साथ-साथ प्रशासन भी अपने योजनाओं को लागू करने के लिए ग्राम सभा का निर्माण कर रही है।

गांव को तोड़ने के लिए वार्ड सभा का निर्माण किया गया है। जो रेवेन्यु गांव के लोग पहले एक जगह बैठ कर विचार विमर्श किया करता था वही वे आज नहीं कर सकते है। क्यूंकि आज एक ही गांव को कई वार्ड में बाँट दिया गया है। ताकि गांव चाह कर भी एक न हो सके।

हम नारा देते है "न लोकसभा न विधानसभा सबसे ऊँची ग्राम सभा।" परन्तु जब हम बोलते है कि ग्राम सभा लोकतंत्र का बुनियाद है तो हमें आज अपना नारा को भी चेंज करना होगा और नया नारा लगाना होगा "न लोकसभा न विधानसभा सबसे बुनियादी ग्राम सभा।"

सरकती तंत्र नहीं चाहता है कि ग्रामसभा मजबूत हो। क्यूंकि यदि ग्रामसभा मजबूत होगा तब विधानसभा कमजोर हो जायेगा। उसका शक्ति कम जाएगा यह न शासन चाहेगा और न ही प्रशासन चाहेगा। इसलिए हमें ही इसे लग भीड़ के मजबूत करना होगा।

अभी डोभा घोटाला, मनरेगा घोटाला, हर सरकारी कामो में कमीशन खोरी के कारण जनता का विश्वास सरकार के पर्ति भरोषा उठा गया है इस लिए यह सबसे उपयुक्त समय ग्राम सभा को मजबूत करने का।

वार्ड सभा को ख़त्म किया जाय।

ग्राम सभा के अधीन जाति-आय-आवासीय-जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का अधिकार दिया जाय।

ग्राम सभा का अपना कार्यलय हो और इसका नियमित कर्मचारी भी हो।

जनगणा और पशुगनणा का जिम्मा ग्राम सभा को दिया जाय।

सभी सम्बंधित दस्तावेज का एक कॉपी ग्राम सभा के कार्यलय में भी होना चाहिए।

केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार का बजट का अनुपातिक हिस्सा ग्राम सभा को भी दिया जाया।

यह चर्चा छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी, जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी, विस्थापित मुक्ति वाहिनी एवं स्वशासन समन्वय समिति के द्वारा बांसा, चौका, सराइकेला-खरसावाँ में "ग्राम सभा से ग्राम स्वराज" विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उभर कर सामने आया।

इस संगोष्ठी का बांसा, खुंचीडीह, चिलगु,पहाडपुर, लापाई, कदमझोर और कादलाकोचा गांव के लोग उपस्थित थे।

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