Friday 11 April 2014

चुनाव-सुधारों की माँग करें !


वोट ज़रूर दें
क्योंकि वोट डालना हमारा अधिकार है, और ज़िम्मेदारी भी !
जनतन्त्र में सबसे ताकतवर है जनता ;
क्योंकि जनता (अर्थात मतदाता) चुनाव में अपने वोट के ज़रिए
अपना जनप्रतिनिधि (सांसद या विधायक) चुनती है |
वोट के ज़रिए वह नई सरकार बनाती है –
पिछली सरकार को वापस ला सकती है, या उसे बदल सकती है ;
या एकदम नए लोगों को मौका दे सकती है !
इसीलिए
वोट का अधिकार बन सकता है जनता का हथियार –
जिससे वह नफ़रत फैलाने वालों, बँटवारा करने वालों,
झूठे वादे करने वालों, धोखा देने वालों,
जनता के साधनों को लूटने वालों,
जनविरोधी, भ्रष्ट, बेइमानों को
सिखा सकती है सबक़ !
वोट का अधिकार बन सकता है जनता का औजार –
जिसके ज़रिए वह बदल सकती है
सरकार की तस्वीर, देश और समाज की तकदीर !
यह हम पर (मतदाता पर) है कि
वोट के इस हथियार/औजार को कर दें भोथरा और बेकार,
या बनाएँ इसे ज़्यादा मज़बूत, ज़्यादा धारदार !
इसलिए
अपना कीमती वोट ज़रूर दें,
सोच-समझकर दें,
निडर होकर, बिना लोभ - लालच के दें !
  
·      जाति-बिरादरी, धर्म-सम्प्रदाय के नाम पर                               अपने
·     रुपए-पैसे, शराब, नशे या किसी लालच-स्वार्थ के लिए                कीमती वोट को
·                                                                किसी दबाव, दबंगई, धमकी से डरकर                            बेइज़्ज़त न करें !

‘नया इतिहास लिखने-लिखाने का समय फिर आ गया है,
तस्वीर में रंग भरने-सजाने का समय फिर आ गया है |
नींद त्यागो, घर से निकलो, सोचो-समझो, वोट डालो,
जनतन्त्र की इज़्ज़त बचाने का समय फिर आ गया है ||’
                                          * नसीर अहमद



आप ऐसे लोगों को अपना कीमती वोट हर्गिज़ न दें -

* जिनका आपराधिक इतिहास हो, जो दबंग हों, गुण्डागर्दी को बढ़ावा दें, दबंगों को पालें-पोसें, उनकी सुरक्षा करें |
* जो भ्रष्ट हों, घोटालेबाज हों, किसी भ्रष्टाचार में डूबे या फँसे हों, जो भ्रष्टाचारियों का साथ दें, उन्हें बढ़ावा दें, उन्हें बचाएँ |
* जो जाति-बिरादरी, धर्म-सम्प्रदाय, मन्दिर-मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारे के नाम पर हमें बाँटते हों, लड़वाते हों |
* जो हमारे वोट से जीतें और हमीं को धोखा दें |
* जो पूँजीपतियों को गले लगाएँ और गरीबों को भूल जाएँ |
* जो इलाके के विकास की कोई स्पष्ट योजना आपके सामने न रखें |
* जो बाहर से आए या लाए गए हों, जिन्हें इलाके की समस्याओं और चुनौतियों का कुछ अता-पता न हो |
* जो जनता के बजाय अपनी पार्टी और नेता की बात सुनें, उन्हींकी जी-हुज़ूरी करें |

·  आप किसी को भी अपना वोट देने के पहले यह देख लें, भरोसा जुटा लें कि
* आपका जनप्रतिनिधि बनने के बाद वह इलाके का सन्तुलित विकास ईमानदारी से करेगा/करेगी |
* जनता के प्रति जवाबदेह होगा/होगी, और अपने कामों का ब्योरा देगा/देगी |
* सांसद-निधि व अन्य योजनाओं के मामले में पारदर्शी और जवाबदेह होगा/होगी |
* संसद में मौजूद रहेगा/रहेगी | सामान्य जनता के मुद्दों को गम्भीरता से उठाएगा/उठाएगी |
* जनपक्षधर नीतियों को बनवाने में सक्रिय रहेगा/रहेगी |
* सबसे ज़रूरी यह है कि वह चुना/चुनी जाए या नहीं, वह आगे भी जनता के संघर्षों के साथ रहे, साथ लड़े |
·    वोट देने के बाद बेखबर और लापरवाह न हो जाएँ |
·    सचेत रहें, जनप्रतिनिधि के कामों की खबर लेते रहें, सवाल पूछते रहें !
                
  यदि आपको कोई उम्मीदवार अपने वोट के काबिल न लगे,
फिर भी आप घर न बैठें | मतदान-केन्द्र ज़रूर जाएँ और वोटिंग मशीन पर आखिरी बटन – ‘इनमें से कोई नहीं’ (NOTA – None Of The Above : नोटा) दबाएँ और सबको ख़ारिज करें | सबको ख़ारिज करने के लिए ‘नोटा’ का इस्तेमाल करना आपका अधिकार है | यह आपके वोट के अधिकार को ज़्यादा मज़बूत बनाएगा | दलों और उम्मीदवारों पर जनता के अधिकार का दबाव बढ़ाएगा | इसे इस्तेमाल करने से मत हिचकिचाएँ |
घर से ज़रूर निकलिए | वोट ज़रूर दीजिए – सभी नाक़ाबिल लगें, तो ‘नोटा’ का इस्तेमाल कीजिए |
 
‘मैं फिर से तक़दीर बदलने आई हूँ, टूटे ख़्वाबों की ताबीर बदलने आई हूँ |
जाति-धर्म से ऊपर उठकर बटन दबाना, मैं भारत की तस्वीर बदलने आई हूँ !’
                                                  * नसीर अहमद


चुनाव-सुधारों की माँग करें !
     हमें वोट के अधिकार का सही ढंग से इस्तेमाल तो करना ही है ; साथ-साथ हमारी यह भी ज़िम्मेदारी है कि हम चुनाव में ज़रूरी सुधारों की माँग भी करें | चुनाव के तरीके में जितना सुधार होगा, जनतन्त्र उतना ही जनपक्षीय और मज़बूत होगा |
     आइए, हम इन चुनाव-सुधारों की माँग करें -
1.      किसी भी व्यक्ति के एक ही चुनाव में एक से ज़्यादा चुनाव-क्षेत्रों में उम्मीदवार बनने पर पाबन्दी लगाई जाए |
2.      किसी भी व्यक्ति को विधायक या सांसद रहते हुए किसी अन्य सदन ( लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधानपरिषद ) के चुनाव में उम्मीदवार बनने पर पाबन्दी होनी चाहिए | यदि वह किसी सदन की/का सदस्य है और किसी चुनाव में उम्मीदवार बनना चाहती/चाहता है, तो पहले उसे मौजूदा सदन की सदस्यता से त्यागपत्र देना चाहिए |
3.      जबतक किसी व्यक्ति पर किसी चुनाव में दो क्षेत्रों से उम्मीदवार बनने पर पाबन्दी न लगे, तबतक यह व्यवस्था की जाए कि जैसे ही ऐसा व्यक्ति दोनों क्षेत्रों में निर्वाचित होने के बाद किसी एक क्षेत्र से त्यागपत्र देता है, तो उस क्षेत्र में दुबारा मतदान कराने के बजाए वहाँ दूसरे स्थान पर रहे व्यक्ति को निर्वाचित घोषित किया जाए | स्वाभाविक रूप से यह एक तार्किक कदम होगा, क्योंकि निर्वाचित व्यक्ति ने उस क्षेत्र के मतदाताओं के फ़ैसले को नज़रन्दाज़ किया है और मनमर्जी से क्षेत्र छोड़कर अपनी जनतान्त्रिक ज़िम्मेदारी से पलायन किया है |
4.      चुनाव के दौरान उकसावे वाले प्रचार, भाषणों व बयानबाज़ी पर सख्ती से पाबन्दी लगे | व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी, छींटाकसी पर पाबन्दी हो | ऐसे मामलों में किसी की शिकायत का इन्तज़ार किए बिना चुनाव आयोग खुद संज्ञान लेकर त्वरित कार्रवाई करे |
5.      चुनाव प्रचार मुद्दों और नीतियों पर केन्द्रित रहे – इसे सुनिश्चित किया जाए |
6.      मतदान के दिन मतदान-केन्द्रों के बाहर दलों/उम्मीदवारों के टेण्ट/काउण्टर के बजाए चुनाव आयोग खुद अपना मदद-काउण्टर बनाए |
7.      मतदाताओं को ‘ख़ारिज करने का अधिकार’ (Right to Reject) और ‘प्रतिनिधि वापसी का अधिकार’ (Right to Recall) मिले |
8.      सभी पंजीकृत राजनैतिक दलों को ‘सूचना के अधिकार’ (आरटीआई) के दायरे में लाया जाए |
9.      बूथवार वोटों की गिनती और घोषणा के बजाए बिना किसी अनुक्रम के वोटों को मिलाने (random mixing) के बाद ही नतीजों की घोषणा की जाए, ताकि गोपनीयता के अधिकार की सुरक्षा हो |
10.  जिस क्षेत्र से कोई उम्मीदवार बनना चाहती/चाहता हो, उसका उस क्षेत्र से आकस्मिक/तात्कालिक/ हवाई सम्बन्ध न हो, बल्कि उसकी एक न्यूनतम अवधि-सीमा (मसलन दो या तीन वर्ष) ज़रूर हो |
>आप इन चुनाव-सुधारों को बतौर माँग-पत्र मुख्य निर्वाचन आयुक्त को डाक या ई-मेल द्वारा भेजें –
* पता : मुख्य निर्वाचन आयुक्त, निर्वाचन आयोग, भारत सरकार, निर्वाचन सदन, नई दिल्ली  
* ई-मेल : vs.sampath@eci.gov.in
(फ़ोन न० 09431113667/ 09431077343/ 09422866223/ 09455764133/ 09415235570/ 09026742261 या ई-मेल : janmukti@gmail.com  / janmuktisangharshvahiniup@gmail.com पर माँग-पत्र को भेजने की सूचना कृपया हमें भी दीजिए |)
‘सचेत नागरिक की ज़िम्मेदारी निभाएँ, भारतीय जनतन्त्र को मज़बूत बनाएँ |’

दागी उम्मीदवार को नहीं चुनें अपना जनप्रतिनिधि

     एक ज़रूरी बात याद रखें –
     सर्वोच्च न्यायालय ने हाल में दो महत्वपूर्ण फ़ैसले दिए हैं –
·         1. यदि किसी भी चुने गए सांसद या विधायक पर आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं, और उसे दो साल या ज़्यादा अवधि की क़ैद की सज़ा सुनाई जाती है, तो संसद, या विधानसभा या विधानपरिषद से उसकी सदस्यता तत्काल ख़त्म हो जाएगी |
( इस फ़ैसले के बाद राजद के लालू प्रसाद और कांग्रेस के रशीद मसूद को अपनी सदस्यता गँवानी पड़ी | )
·         2. किसी भी क्षेत्र से चुने गए ऐसे सांसद या विधायक, जिन पर आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं – उन मामलों की सुनवाई सम्बन्धित न्यायालय को एक वर्ष की अवधि में हर हाल में पूरी कर लेनी होगी और फ़ैसला सुना देना होगा |

      इसलिए अब यदि आप किसी ऐसे दागी उम्मीदवार को अपना कीमती वोट देकर चुनेंगे ( जिनपर ऐसे आपराधिक मुक़दमे दर्ज हों, जिनमें दो साल या ज़्यादा अवधि की सज़ा हो सकती है ), तो आपके सामने यह खतरा बना रहेगा कि यदि न्यायालय ने एक बरस के भीतर उन्हें दो साल या ज़्यादा अवधि की सज़ा सुना दी, तो उनकी संसद-सदस्यता (या विधानसभा-सदस्यता) तत्काल ख़त्म हो जाएगी | और आपको दुबारा नए सिरे से संसद (या विधानसभा) के लिए अपना प्रतिनिधि चुनना पड़ेगा |


जब चुनने के लिए मौजूद हैं साफ़-सुथरे उम्मीदवार,
तो किसी दागी को जनप्रतिनिधि चुनने को हम क्यों हैं लाचार ?! 

निवेदक

जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी (जसवा)                          छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी (छायुसवा)   

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