जेपी की चुनौती...आज भी मौजूद है !
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साल पहले, ’72 साल के युवा जेपी’ ने देश और समाज को पूरी तरह बदल डालने की
जो चुनौती युवाओं के सामने रखी थी, वह आज भी मौजूद है !
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जून 1974 को पटना के गांधी मैदान में युवाओं को ‘सम्पूर्ण क्रान्ति के आह्वान’ में
लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने बहुआयामी बदलाव [
सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनैतिक-आर्थिक-शैक्षिक-नैतिक-आध्यात्मिक परिवर्तन ] की बात
की थी | मौजूदा “घिसे-पिटे राजनीतिक चिन्तन से भिन्न” विकल्प की बात करते हुए
उन्होंने अपने ऐतिहासिक सम्बोधन में कहा था –--
“......आज
की परिस्थिति में आम जनता को, आम मतदाता को केवल इतना ही अधिकार प्राप्त है कि वह
चुनाव में अपना मतदान करे, परन्तु मतदान-प्रक्रिया न तो स्वच्छ और स्वतन्त्र [ free
& fair ] होती है, न
उम्मीदवारों के चयन में मतदाताओं का हाथ होता है, और न चुनाव के बाद अपने प्रतिनिधियों
पर उनका कोई अंकुश ही रहता है |.........
“अपना
देश पिछड़ा हुआ है, इसलिए बावजूद इसके कि हमने लोकतन्त्र की स्थापना की है; विकसित
देशों के लोकतान्त्रिक समाज में जो...........परस्पर एक-दूसरे को प्रभावित करने
वाली शक्तियाँ [countervailing forces] होती हैं; जनमत का जो प्रबल
प्रभाव प्रतिनिधियों पर निरन्तर पड़ता है; जो स्वतन्त्र और साहसी प्रेस,
पत्र-पत्रिकाओं के रोल होते हैं; शिक्षित समुदाय [academic
community] का जो वैचारिक और
नैतिक असर होता है; इस सारे इन्फ्रास्ट्रक्चर का, याने जनता और शासन के बीच की
संरचना का यहाँ नितान्त अभाव है | ऐसी स्थिति में हमारा लोकतन्त्र केवल नाममात्र
का रह जाता है | इस पूरी अन्तरिम संरचना...........के अभाव में आम जनता या मतदाता
मतदान के सिवा कोई भी पार्ट नहीं अदा कर सकता, जिसके परिणामस्वरूप मन्त्री तथा
विधायक निरंकुश और स्वच्छन्द हो जाते हैं, और जनता का किसी प्रकार का अंकुश उन पर
नहीं रहता, सिवा इस भय के कि अगले चुनाव में जनता यदि चाहे तो उनको वोट नहीं दे |
परन्तु ये भय भी रुपया, जाति, बल-प्रयोग, मिथ्याचरण आदि के कारण निष्प्रभावी [nullify] हो जाते हैं | ......................मैं
चाहूँगा कि आज जो असंगठित जनता है, उसमें ऐसी शक्ति आ जाय कि वह सही आदमी का चुनाव
कर सके तथा चुनाव के बाद अपने प्रतिनिधियों के आचरण पर अंकुश रख सके !”
[ 11 अक्टूबर की तारीख और
आश्विन (क्वार) मास की दशमी –विजयादशमी- में एक समानता है --- यह लोकनायक जयप्रकाश
नारायण की जयन्ती की तारीख और तिथि है | इस बरस 2013 में इन दोनों – 11 अक्टूबर और
दशमी (13-14 अक्टूबर) -- के बीच 2/3 दिन का अन्तर है | जेपी की इस 111वीं जयन्ती
के अवसर पर परिवर्तन की इस चुनौती को याद करें.........उस कसौटी पर खुद को परखें,
तैयार करें और संकल्प लें !! ]
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